Astrology for betterment of humanity Kalyan Astrology Astrologer Ritesh Nagi – जीवन की समस्याओं का ज्योतिष से समाधान – Astrology for the Betterment of Humanity
पांच मिनट में याद करे किस ग्रह के कौन से नक्षत्र है।
कुंडली फलकथन करते समय यदि हमे ग्रह व उनके नक्षत्र भी याद हो तो फलकथन में और अधिक सटीकता आ जाएगी ,थोड़ा मुशिकल है यह याद रखना की किस ग्रह के कौन से नक्षत्र है ,,पर इस वीडियो को देखने के बाद आप बहुत ही आसानी से यह सब याद कर लोगे। .
रितेश नागी कल्याण एस्ट्रोलॉजी के यूट्यूब चैनल में आपका हार्दिक स्वागत करता हूं आज हम अपनी इस वीडियो में जिस विषय https://youtu.be/spR8ZeIfIb8पर बात करने जा रहे हैं वह यह है की किस ग्रह के कौन कौन से नक्षत्र होते हैं किस-किस नक्षत्र का कौन कौन सा ग्रह मालिक है।
हर ग्रह के हिस्से में तीन नक्षत्र आते हैं आपको इस विषय पर यूट्यूब पर कहीं वीडियोस मिल जाएंगी परंतु हमारी यह वीडियो कुछ विशेष है क्योंकि हम सभी जानते हैं कि किस ग्रह के हिस्से में कौन-कौन से तीन नक्षत्र आते हैं ,इसे याद रखना थोड़ा सा कठिन है कह सकते हैं बहुत कठिन है परंतु करने पर याद हो ही जाते हैं।
लेकिन हमारी इस वीडियो को देखने के बाद आपको
किस ग्रह के हिस्से में कौन कौन से नक्षत्र आते हैं।
किस ग्रह की महादशा कितने साल की होती है।
वह किस महादशा के बाद कौन से ग्रह की महादशा आती है।
यह भी आपको 5 मिनट में याद हो जाएगा
हमारी कल्याण एस्ट्रोलॉजी के यूट्यूब चैनल पर जितने भी वीडियो जो आपको मिलेंगे वह सब आपको पसंद अवश्य आएंगी क्योंकि उनको जहां शोध व अद्ययन के बाद बहुत ही संक्षेप में मुख्य विषय को सरलतम रूप में समझाने का प्रयास करते हुए बनाया गया है। जिससे कि वीडियो देखने वाले का समय भी बचेगा तथा इस विषय के प्राप्त ज्ञान का उपयोग में प्रैक्टिकल लाइफ में भी कर पायेगा।
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एक बार पहले हम एक नजर मार लेते हैं कि किस ग्रह के कौन से नक्षत्र होते हैं।
केतु के तीन नक्षत्र अश्विनी मघा मूल
शुक्र के तीन नक्षत्र भरणी पूर्वाफाल्गुनी पूर्वाषाढ़ा
चंद्र के तीन नक्षत्र रोहिणी हस्त श्रवण
मंगल के तीन नक्षत्र मृगशिरा चित्रा और घनिष्ठा
राहु के तीन नक्षत्र आर्द्रा स्वाति सत तारका या सतभिषा
गुरु के तीन नक्षत्र पुनर्वसु विशाखा पूर्वाभाद्रपद
शनि के तीन नक्षत्र पुष्य अनुराधा उत्तराभाद्रपद
बुध के तीन नक्षत्र आश्लेषा ज्येष्ठा और रेवती
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जब भी हम किसी कुंडली को देखते हैं तो हमें वहां ग्रहों के साथ उन ग्रहो के अंशों का मान ( डिग्रीज ) भी लिखी हुई दिखाई देती हैं। यह ग्रह के अंश का मान ग्रह की अवस्था व उसके बल के बारे में बताता है ग्रहों की अवस्थाओं को सही समझ कर हम कुंडली के फल कथन में सत्यता व प्रमाणिकता ला सकते हैं। कभी-कभी हम देखते हैं कि कुंडली को देख कर सीधा ही कह दिया जाता है क्योंकि यह ग्रह उच्च या नीच का है तो फला फला अच्छा या बुरा फल देगा परंतु जातक को जो फल मिलता है वह कुंडली देखने वाले के द्वारा बताए गए फल का उल्टा होता है ऐसा क्यों होता है आज हम इस वीडियो में इस कारण को समझेंगे।
मैं रितेश लगी अपने KALYAN ASTROLOGY के यूट्यूब चैनल पर आपका स्वागत करता हूं। you tube kalyan astrology इससे पहले की हम मुख्य विषय पर आये मेरी आप से प्राथना है अगर आपने मेरे चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया तो प्लीज सब्सक्राइब करना व LIKE करना न भूले व राइट साइड पर बने बैल आइकन को भी अवश्य दबा दें, जिससे कि मेरी वीडियो की नोटिफिकेशन सीधे आप तक तुरंत पहुंच जाए।you tube kalyan astrology
ग्रहों की 5 अवस्थाएं होती हैं
1 बाल अवस्था
2 कुमार अवस्था
3 युवावस्था
4 वृद्धावस्था
5 मृत अवस्था
जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में पांच अवस्थाएं होती हैं ठीक उसी प्रकार से ग्रहों की भी पांच अवस्थाएं होती हैं। अक्सर ऐसा मान लिया जाता है कि यदि ग्रह के 0 डिग्री 1 डिग्री 2 डिग्री लिखा हुआ है तो वह उसकी बाल अवस्था है या मित्र मृत अवस्था है।
अगर 28 डिग्री 29 डिग्री 30 डिग्री लिखा है तो यह उसकी मृत अवस्था है परंतु वास्तविकता यह नहीं है। ग्रहों की अवस्थाएं बताती है , उसको प्राप्त है और ग्रह कुंडली कर सकते हैं ग्रहों की अवस्थाएं बताती है किस ग्रह को प्राप्त है व्यवस्था को प्राप्त है ब्रेव व्यवस्था यह बताती है कि कुंडली में उस ग्रह को कितना बल प्राप्त है।
और ग्रह के बल को जान हम कुंडली का फल कथन सही से कर सकते हैं। सबसे पहले तो हम यह जान लेते हैं कि ग्रह अगर बाल या मृत अवस्था में है तो क्या वह बिल्कुल ही निष्क्रिय हो जाएगा,क्योकि अक्सर ऐसा ही कह दिया जाता है ,,, नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है वह कभी भी निष्क्रिय या फलहीन नहीं होते हैं। ग्रह कितना फल देगा यह उसके अंश के मान पर निर्भर करता है ग्रह अच्छा या बुरा फल देगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि ग्रह कुंडली में कारक है अथवा अकारक है,, ग्रह अच्छा फल देगा या बुरा फल देगा यह इस बात पर निर्भर करता है की ग्रह की कुंडली में स्थिति क्या है,,ग्रह की युति किसके साथ है उस पर पड़ने वाली दृष्टि किस प्रकार की है।
ग्रह का बल यह बताएगा कि उस फल की मात्रा कितनी होगी जो जातक को उसके जीवन में उस ग्रह से मिलेगा अच्छा या बुरा ,
एक साधारण सा नियम है कि गृह बाल अवस्था में 25%,, कुमार अवस्था में 50%,,, युवावस्था में 100% ,,,वृद्धि अवस्था में 20% ,,,व मृत अवस्था में 5% फल देता है।
अब यह अवस्थाएं देखी कैसे जाती है, कुंडली में ग्रहों के साथ राशियों के अंक भी लिखे होते हैं। ग्रहों की अवस्थाओं को विषम व सम राशियों के आधार पर देखा जाता है।
सम राशिया है : वृषभ,,कर्क ,, कन्या वृश्चिक,, मकर,, मीन
ग्रहों की अवस्थाएं ग्रहों को प्राप्त बल रिंकू प्राप्त फल विषम व सम राशियों में इस प्रकार से देखे जाते हैं।
विषम राशि में हो या सम राशि में 13 से 18 डिग्री में ग्रह अपना 100% फल देगा। बुध व चंद्र कुमार अवस्था से युवावस्था तक अच्छा व भरपूर फल देते हैं वह अच्छा है या बुरा है वह एक अलग बात है।
गुरु व शनि युवावस्था से वृद्धावस्था तक भरपूर फल देते हैं वह अच्छा हो या बुरा बुधवार कुमार है व चंद्र माता अगर हम इन्हे अपने जीवन में भी उतारे तो हम पाते इन अवस्थाओं में हम खूब काम कर पाते हैं। शनि व ब्रहस्पति है न्यायाधीश व गुरु ये अपनी परिपक्व अवस्था में बढ़िया फल देते हैं।
0 व 29 डिग्री के ग्रह कोई फल नहीं देते ऐसा माना जाता है परन्तु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है इन दो डिग्रियों को चमत्कारी अंश कहा गया है क्योंकि यहां से ग्रह एक नई दिशा में जाना शुरू हो जाता है।
ग्रह अच्छा या बुरा फल जिस बल जैसा भी देंगे वह निर्भर करेगा उसकी अवस्था पर जिसमें वह कुंडली में है।
हम जानते हैं कि हम पांच तत्वों से बने ग्रह भी उन्हीं तत्वों को दर्शाते हैं जिस ग्रह का बल कम हैं उस तत्व की कमी हमारे शरीर में होगी है। जिस ग्रह का बाल अधिक है उस तत्व की अधिकता हमारे शरीर होगी।
अगर कोई ग्रह आपकी कुंडली में बाल अवस्था में है वह कारक है तो आप उसका रत्न धारण करके उचित लाभ उठा सकते हैं। सम व विषम राशियों दोनों में 13 से 18 अंश तक ग्रह युवा रहता है। इस इन दोनों सम व विषम में 13 से 18 अंश तक ग्रह पुर्ण बली होता है,, यही वह बिंदु जंहा ग्रह से सबसे अधिक प्रभाव देता है , अच्छा या बुरा ,,
बाल अवस्था , कुमार अवस्था में यदि ग्रह कारक है तो उसके रत्नो व मंत्रों द्वारा पूजा पाठ उसे द्वारा बल दिया जा सकता है।
यदि शनि मकर राशि (सम) में है तो 25 से 30 डिग्री के बीच में मकर राशि मृत अवस्था नहीं मानी जाएगी यह बाल अवस्था होगी तो आप शनि को बल देकर उसका भरपूर लाभ उठा सकते हैं।
मान लीजिए शनि कुंभ राशि कुंभ राशि (विषम) में शून्य 0 से 5 डिग्री में है तो शनि बाल अवस्था में है। शनि का लाभ उठा सकते हैं।
मृत ग्रह अगर कारक लग्न में है तो उसके अधिपति की आराधना करें तो उसका लाभ प्राप्त होगा अकारक है तो उसके रत्न को धारण ना करें दान करें पूजा पाठ करे उस ग्रह के।
ग्रहों की आपसी मित्रता और शत्रुता को समझे बगैर हम कुंडली का फल कथन सही नहीं कर सकते हैं
फल कथन सही हो ही नहीं पाएगा फल कथन में इतनी प्रमाणिकता नहीं आ पाएगी जितनी होनी चाहिए। कौन सा ग्रह किसका मित्र है कौन सा ग्रह किस का शत्रु है कौन से ग्रह आपस में सम है , मतलब ना मित्र है ना शत्रु है, जब तक यह ग्रहों की मित्रता और शत्रुता सही से ना समझे, तब तक हमारे फल कथन में वह सत्यता वा प्रमाणिकता नहीं आ सकती जो आनी चाहिए।
हमारे इस ब्लॉग का मुख्य विषय है, ग्रहों की आपस में मित्रता और शत्रुता,
इस ब्लॉग से आज आप यही बात बहुत अच्छी तरह से समझ पाएंगे कि कौन से ग्रह आपस में मित्र में कौन से ग्रह आपस में शत्रु होते हैं और कौन से ग्रह आपस में सम होते हैं। इन ग्रहो में मित्रता शत्रुता ऐसे ही नहीं है इन सब के पीछे ठोस कारण होते हैं कुछ मामलों में तो एक ग्रह जिस दूसरे ग्रह का मित्र होता है या मानता है वही दूसरा ग्रह पहले को मित्र नहीं मानता है या मित्र नहीं होता है।
ग्रहो तीन प्रकार की मित्रता होती है।
1 नैसर्गिक मित्रता
2 तात्कालिक मैत्री
३ इन दोनों को जब इकट्ठा करके हम देखते हैं तो बनती है पंचदा मैत्री
नैसर्गिक मैत्री का मीनिंग है प्राकृतिक मैत्री जो ग्रहों में अपने आप ही अपने स्वभाव के कारण से होती है।
इसी तरह से नैसर्गिक शत्रुता होती है जो ग्रहों में अपने स्वभाव के कारण पहले से ही होती है।
फिर होती है तात्कालिक मैत्री व तात्कालिक शत्रुता
तात्कालिक मैत्री व शत्रुता का मीनिंग है यह मैत्री कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार बनती है व देखी समझी जाती है फलकथन के समय के समय
पछता मैत्री में पांच प्रकार की मैत्री बताई गई है
1 मित्र ,2 अति मित्र 3 शत्रु ४,,,अति शत्रु 5 सम
इस चार्ट को देखकर हम बड़ी आसानी से समझ सकते हैं कि कौन सा ग्रह किसका नैसर्गिक मित्र है कौन सा ग्रह किसका नैसर्गिक शत्रु है वह कौन सा ग्रह किसके साथ सम है।
इस चार्ट से हमें यह पता लगता है कि चंद्र बुध को अपना मित्र मानता है जबकि बुध चंद्र को अपना शत्रु मानता है।
मुख्य रूप से तालिका को मोटे तौर पर याद रखने के लिए दो भागों में बांट सकते हैं
नंबर 1 सूर्य चंद्र मंगल
नंबर दो बुध शुक्र शनि राहु केतु
ग्रह कुंडली के जिस भाव में बैठते हैं वहां के तात्कालिक मित्र व शत्रु भी बना लेते हैं।
इन दो उदाहरणों से आप यह बात बहुत ही अच्छी तरह से समझ जाओगे
तात्कालिक मित्र
ग्रह जहां बैठेगा वहां से उस घर को पहला मानकर वहां से 2, 3 ,4 वह 10, 11, 12 घरों में बैठे ग्रहों से ग्रहों की उस ग्रह की तात्कालिक मेंत्री होती है।
उदाहरण के लिए बुध यहां पर दूसरे घर में है परंतु हम उसे पहला अगर मान कर चलेंगे तो इसमें दिखाई दे रहे लाल रंगों से आप समझ सकते हैं कि बुध कौ पहला घर मानकर शुरू करते हैं तो बुध 2, 3, 4, व 10 11 12 घरों में बैठे हुए ग्रहों के साथ तात्कालिक मैत्री निभाएगा चाहे वह उसके शत्रु ही क्यों ना हो।
तात्कालिक शत्रुता
ग्रह जहां बैठते हैं वहां से 5, 6,, 7,, 8, 9,, घरों में बैठे ग्रहों से तात्कालिक शत्रुता बना लेता है।
इस कुंडली को देख कर आप समझ सकते हैं कि बुध दूसरे घर में है, लेकिन उसे हम पहला घर मानकर चलेंगे व काले रंग से दिखाए गए घरों को देख क्र आप समझ सकते हैं कि 5, 6, 7,, 8,, 9,, बुध को पहला घर मानकर चलने पर पांच में छह , सातवें आठवें व नोवे घर में बैठे ग्रहों के साथ बु ध की तात्कालिक शत्रुता होगी चाहे उस घर में बैठे ग्रह उसके मित्र ही क्यों ना हो।
एक अन्य उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि बुध चौथे घर में है यहां पर हम बुध की तात्कालिक मैत्री व शत्रुता देखने के लिए बुध को पहला घर मान कर चलेंगे तो यहां से हम देखेंगे कि बुध से अगला पांचवा घर है वह दूसरा घर बन जाता है तो बुध को पहले घर को मानकर चलते हुए बुध से की दूसरे तीसरे चौथे व 10 ,11 १२ वे में जिन को की लाल रंग से दिखाया गया है यहां बैठे ग्रहों के साथ तात्कालिक मैत्री होगी चाहे वह उसके शत्रु ही क्यों ना हो।
बुध चौथे घर में है लेकिन , लेकिन उसे पहला कर मानकर 5, 6,,, 7,,, 8,,, 9,, घरो में बैठे ग्रह जो कि काले रंग से दिखाए गए हैं बैठे ग्रहों के साथ बुध की तात्कालिक शत्रुता होगी चाहे वह उसके मित्र ही क्यों ना हो।
क्या सभी ग्रह सूर्य के पास पहुंचकर अस्त हो जाते हैं
अक्सर ऐसा मान लिया जाता है कि कोई भी ग्रह जब सूर्य के साथ होता है तो वह अस्त हो जाता है जबकि वास्तविकता यह नहीं है। ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है, यह सब निर्भर करता है कि सूर्य व उस ग्रह के बीच में अंशों की दूरी कितनी है, अंश के मान का अंतर क्या है। सूर्य केवल अपने साथ बैठे हुए ग्रह को ही अस्त नहीं करते ,सूर्य अपने से एक घर पहले व एक घर बाद में बैठे ग्रह को भी अस्त कर सकते हैं।
अक्सर यह मान लिया जाता है कि अस्त ग्रह फल ही नहीं देगा, बिल्कुल ही निष्क्रिय हो जाएगा परंतु ऐसा नहीं है, अस्त ग्रह भी फल देते हैं ,अस्त ग्रह को जब जब मौका मिलता है वह भी अपने अच्छा फल को या बुरे फल फलीभूत करता है…
जब-जब अस्त ग्रह को मौका मिलेगा वह अपना अच्छा या बुरा फल जो भी उस समय उसकी स्थिति के अनुसार ,उस पर पड़ी दृष्टि के अनुसार उसका फल बनेगा वह अवश्य देगा जो अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी हो सकता है।
जैसे कि हम यह मान लेते हैं कि एक जगह पर एक ही मंच पर प्रधानमंत्री व उस राज्य का मुख्यमंत्री इकट्ठे खड़े हैं तो उस समय तो वहां पर प्रधानमंत्री की ही चलेगी ,मुख्यमंत्री की नहीं चलेगी परंतु ऐसा भी नहीं है कि मुख्यमंत्री बिल्कुल ही निस्तेज हो जाएगा शक्तिहीन हो जाएगा उसकी शक्तियां उसके साथ ही होंगी जब जब उसे जरूरत पड़ेगी वह अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है वह थोड़ा सा इधर उधर होकर अपनी व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए आदेश भी दे सकता है वहां बैठे-बैठे भी वह कई जरूरी कागजों पर साइन कर सकता है, और दिशा निर्देश दे सकता है उसको रोका नहीं जाएगा।
हां यह भी ठीक है कि क्योंकि प्रधानमंत्री वहां पर है तो चलेगी उसकी ही लेकिन कुछ समय बाद जब परिस्थितियां बदल जाएंगी प्रधानमंत्री वंहा से चले जाएंगे या मुख्यमंत्रि उस जगह को छोड़कर दूसरी जगह जाकर बैठ जाएंगे या वहां से चले जाएंगे तो उसके पास उसकी ताकत फिर से वापस आ जाएगी और वह अपने सारे कार्य को ठीक तरह से अंजाम दे सकेगा। परंतु यहां पर यह भी बहुत समझने की जरूरत है कि ग्रहों की जो स्थिति लग्न में बन गई वह उसी समय डिसाइड हो गया कि कौन सा ग्रह कितने प्रतिशत फल देगा अच्छा देगा या बुरा देगा उस पर किस ग्रह की दृष्टि या पड़ रही है गोचर में स्थितियां बदलेंगी तो ग्रह उसके अनुसार अपने फल को फलीभूत करता रहेगा।
अब आते है मुख्य बात पर राहु केतु सूर्य के साथ अस्त नहीं होते अपितु सूर्य को ही ग्रहण लगा देते हैं बुध अस्त होने पर भी अच्छा फल प्रदान करता है। अन्य ग्रहो की दृष्टियों के अनुसार उसके फल में वृद्धि तेजी कमी आती रहती है।
अब यह भी जान लेते हैं कि कौन सा ग्रह कितने अंश पर होने पर अस्त होते है या कितने अंश से अधिक होने पर नहीं अस्त होते है।
आपको दो चित्रों के माध्यम से बात समझाई जाएगी तुरंत ही समझ आ जाएगी पहले हम यह जान लेते हैं कि कौन सा ग्रह कितने अंश तक अस्त होता है
अगर इस दूरी या दोनों ग्रहो के अंशो के मान का अंतर् इसके बराबर या इससे अधिक तो ग्रह अस्त नहीं माना जायेगा। कुंडली उदाहरण
सूर्य केवल अपने ही घर में बैठे ग्रह को अस्त नहीं करते एक घर आगे बढ़कर पीछे के किराए को व्यस्त कर सकते हैं परंतु गणना करने का तरीका बदल जाएगा
अस्त ग्रह का यह बिल्कुल भी मतलब नहीं है की अस्त ग्रह बिल्कुल ही प्रभावहीन हो जाएगा
मान लीजिए प्रिंसिपल कक्षा में आ गए तो उस समय उनके सम्मान में उस कक्षा का उपस्थित अध्यापक भी खड़ा हो जाएगा पर ऐसा नहीं है कि मैं प्रभावहीन हो जाएगा जब तक प्रिंसिपल बोलेगा तब तक सभी सुनेंगे पर बाद में दोनों प्रिंसिपल अध्यापक भी सलाह मशवरा कर सकते हैं। अगर प्रिंसिपल अध्यापक के बीच में पहले से अच्छी बनती है तो दोनों की बातचीत का निष्कर्ष अच्छा निकलेगा अगर दोनों एक दूसरे को ना सामने और ना ही बाद में काटेंगे और अगर दोनों में से किसी भी कारण से नहीं बनती तो उनकी बातचीत का मंत्रणा का फल जो हर हालत में उतना बढ़िया नहीं होगा जितना कि हो सकता था।
एक और उदाहरण लेते हैं एक बीटा बहुत बड़ा अफसर है उसकी खूब चलती है लेकिन जब भी मैं पिता के बहुत करीब होगा आपने रोब वाले रवैया को कंट्रोल कर लेगा उसे पिता का सामने रोब छोड़ना पड़ेगा परंतु मौका देखते ही उसके अंदर का ऑफिसर फिर जाग जाएगा अस्त ग्रह भी बिल्कुल इसी प्रकार से फल देते है।
वास्तु की कि कुछ इन साधारण सी टिप्स को ध्यान रखकर हो सकते हैं मालामाल
मैं अपने जीवन में बहुत से विद्वानों को मिला एस्ट्रो वास्तु न्यूमरोलॉजी के विषयों पर गहन मदन हुआ अंत में पर पहुंचा की वास्तु के अनुसार बहुत सारे बदलाव या बहुत सारे उपाय करना हर व्यक्ति के लिए संभव नहीं होता तो उन विद्वानों ने जो बातें मुझे बताई वह मैं विस्तार से आपको यहां बताने जा रहा हूं अगर आप इन बातों का ध्यान रखते हैं इन्हें जीवन में अपना लेते हैं तो आप अपने घर से रूठी हुई सुख समृद्धि व शांति को वापस ला सकते हैं
आप अगर नया मकान बना रहे हैं तो आप किसी वास्तु एक्सपर्ट से सलाह ले सकते हैं मास्क अनुसार अपने कार्यस्थल का निर्माण कर सकते हैं परंतु अगर हमारा मकान या कार्यस्थल पर आना है वह चाह कर भी हम उस में तोड़फोड़ नहीं कर सकते जाती है तो बहुत बड़ी आरती खानी होती है और अगर किसी प्रोफेशनल से चला लेते हैं तो तीसरा उसके द्वारा दिए गए यंत्र व अन्य वस्तुएं हमें वहां पर से खरीदनी पड़ती हैं उनका ध्यान रखना पड़ता है
अगर हम उनका ध्यान सही ढंग से नहीं रख पाते हैं तो मन में एक बहन पैदा हो जाता है कि पता नहीं हमने सही ढंग से इनका रखरखाव नहीं किया जिसकी वजह से हमारा जो कार्य है सफल नहीं हो रहा है या धन का आगमन नहीं हो रहा है फिर उन महंगी खरीदी यंत्रों का वस्तुओं का ध्यान भी रखना पड़ता है यह सब इतनी आसानी से संभव नहीं होता तो सिटी बताने जा रहा हूं जिन्हें अपनाकर आप बहुत ही आसानी से कुछ साधारण से बदलाव कर कर अपने जीवन में वास्तु के अनुरूप अच्छे फल प्राप्त कर सकते हैं
सबसे पहले तो हमें यह पता होना चाहिए कि हमारे घर की दिशा किस तरफ है जिससे कि आप इस चित्र के माध्यम से बड़ी आसानी से समझ सकते हैं
तो अब हम बात करते हैं उन कुछ मुख्य बातों की जिन्हें अगर हम ठीक कर लेते हैं कुछ को भी ठीक कर लेते हैं तो काफी हद तक हम उन वास्तु दोषों से बच जाते हैं जिनकी वजह से धन का आगमन बाग ग्रह शांति के बीच में ग्रह शांति सही ढंग से स्थापित नहीं हो पा रही है
सबसे पहले हम बात करते हैं किचन की किचन हमेशा पूर्व दिशा में होनी चाहिए
वॉशरूम इत्यादि प्लाट की साउथ दिशा में होनी चाहिए
पानी का टैंक नॉर्थ ईस्ट दिशा में होना चाहिए
छत बिल्कुल साफ रखें छत पर पक्षियों को बिल्कुल कुछ भी खाने को ना डालें
सोते समय सर दक्षिण की तरफ होना चाहिए या फिर पश्चिम की तरफ
घर की दहलीज बिल्कुल साफ रखें घर का फ्रंट साफ रखें दरवाजों पर काला नीला पेंट बिल्कुल भी ना करवाएं
घर के मुख्य द्वार के ऊपर काली माता की गणेश जी की या स्वास्तिक का चिन्ह लगाएं
घर साफ सुथरा रखें नियमित सफाई करें धूल मिट्टी हटाए जाले ना लगने दे
साउथ वेस्ट में शयनकक्ष होना चाहिए कबाड़ नहीं होना चाहिए सजने सवरने की चीजें रख सकते हैं
स्टोरेज दक्षिण दिशा में होनी चाहिए
पैसे साउथ वेस्ट दिशा में रखें और पैसे रखने वाले स्थान का मुंह उत्तर की तरफ खुलना चाहिए
गुरु को अच्छा करने के लिए तिल के तेल का दिया उत्तर दिशा में खुली जगह पर सावधानी से नियमित जलाएं
अगर घर में कलेश बहुत है तो दक्षिण दिशा में छोटे छोटे काले पत्थर रखे मैं सुबह शाम उन्हें हल्दी का टीका लगाएं
अगर स्वास्थ्य से संबंधित परेशानी है तो पूर्व दिशा को साफ रखें इस दिशा की दीवारों को गलती से भी काला नीला व डार्क कलर ना करवाएं
खाने पीने की चीजें पूर्व दिशा में रखें माइन के बीच में साबुत बादाम वा लांग अवश्य रखें
घर में लाल चंदन रखें इस चंदन को गिस कर तिलक सभी घर के सदस्य लगाएं
घर में मंदिर होना ही नहीं चाहिए
अगर है तो उसका मुंह पूर्व दिशा में या पश्चिम दिशा की तरफ होना
चाहिए
मंदिर में मूर्तियां होनी ही नहीं चाहिए अगर रखनी है तो उनका साइज 6 इंच से अधिक नहीं होना चाहिए
उत्तर दिशा की तरफ कोई भी भारी सामान ना रखें साफ सुथरा रखें सुगंधित प्राकृतिक फूल लगाएं व सुगंधित सुगंधित वस्तुओं का छिड़काव समय-समय पर करते रहे