ग्रहों की आपसी मित्रता और शत्रुता
नैसर्गिक मित्रता व तात्कालिक मैत्री
ग्रहों की आपसी मित्रता और शत्रुता को समझे बगैर हम कुंडली का फल कथन सही नहीं कर सकते हैं
फल कथन सही हो ही नहीं पाएगा फल कथन में इतनी प्रमाणिकता नहीं आ पाएगी जितनी होनी चाहिए। कौन सा ग्रह किसका मित्र है कौन सा ग्रह किस का शत्रु है कौन से ग्रह आपस में सम है , मतलब ना मित्र है ना शत्रु है, जब तक यह ग्रहों की मित्रता और शत्रुता सही से ना समझे, तब तक हमारे फल कथन में वह सत्यता वा प्रमाणिकता नहीं आ सकती जो आनी चाहिए।
हमारे इस ब्लॉग का मुख्य विषय है, ग्रहों की आपस में मित्रता और शत्रुता,
इस ब्लॉग से आज आप यही बात बहुत अच्छी तरह से समझ पाएंगे कि कौन से ग्रह आपस में मित्र में कौन से ग्रह आपस में शत्रु होते हैं और कौन से ग्रह आपस में सम होते हैं। इन ग्रहो में मित्रता शत्रुता ऐसे ही नहीं है इन सब के पीछे ठोस कारण होते हैं कुछ मामलों में तो एक ग्रह जिस दूसरे ग्रह का मित्र होता है या मानता है वही दूसरा ग्रह पहले को मित्र नहीं मानता है या मित्र नहीं होता है।
ग्रहो तीन प्रकार की मित्रता होती है।
1 नैसर्गिक मित्रता
2 तात्कालिक मैत्री
३ इन दोनों को जब इकट्ठा करके हम देखते हैं तो बनती है पंचदा मैत्री
नैसर्गिक मैत्री का मीनिंग है प्राकृतिक मैत्री जो ग्रहों में अपने आप ही अपने स्वभाव के कारण से होती है।
इसी तरह से नैसर्गिक शत्रुता होती है जो ग्रहों में अपने स्वभाव के कारण पहले से ही होती है।
फिर होती है तात्कालिक मैत्री व तात्कालिक शत्रुता
तात्कालिक मैत्री व शत्रुता का मीनिंग है यह मैत्री कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार बनती है व देखी समझी जाती है फलकथन के समय के समय
पछता मैत्री में पांच प्रकार की मैत्री बताई गई है
1 मित्र ,2 अति मित्र 3 शत्रु ४,,,अति शत्रु 5 सम
इस चार्ट को देखकर हम बड़ी आसानी से समझ सकते हैं कि कौन सा ग्रह किसका नैसर्गिक मित्र है कौन सा ग्रह किसका नैसर्गिक शत्रु है वह कौन सा ग्रह किसके साथ सम है।
इस चार्ट से हमें यह पता लगता है कि चंद्र बुध को अपना मित्र मानता है जबकि बुध चंद्र को अपना शत्रु मानता है।
मुख्य रूप से तालिका को मोटे तौर पर याद रखने के लिए दो भागों में बांट सकते हैं
नंबर 1 सूर्य चंद्र मंगल
नंबर दो बुध शुक्र शनि राहु केतु
ग्रह कुंडली के जिस भाव में बैठते हैं वहां के तात्कालिक मित्र व शत्रु भी बना लेते हैं।
इन दो उदाहरणों से आप यह बात बहुत ही अच्छी तरह से समझ जाओगे
तात्कालिक मित्र
ग्रह जहां बैठेगा वहां से उस घर को पहला मानकर वहां से 2, 3 ,4 वह 10, 11, 12 घरों में बैठे ग्रहों से ग्रहों की उस ग्रह की तात्कालिक मेंत्री होती है।
उदाहरण के लिए बुध यहां पर दूसरे घर में है परंतु हम उसे पहला अगर मान कर चलेंगे तो इसमें दिखाई दे रहे लाल रंगों से आप समझ सकते हैं कि बुध कौ पहला घर मानकर शुरू करते हैं तो बुध 2, 3, 4, व 10 11 12 घरों में बैठे हुए ग्रहों के साथ तात्कालिक मैत्री निभाएगा चाहे वह उसके शत्रु ही क्यों ना हो।
तात्कालिक शत्रुता
ग्रह जहां बैठते हैं वहां से 5, 6,, 7,, 8, 9,, घरों में बैठे ग्रहों से तात्कालिक शत्रुता बना लेता है।
इस कुंडली को देख कर आप समझ सकते हैं कि बुध दूसरे घर में है, लेकिन उसे हम पहला घर मानकर चलेंगे व काले रंग से दिखाए गए घरों को देख क्र आप समझ सकते हैं कि 5, 6, 7,, 8,, 9,, बुध को पहला घर मानकर चलने पर पांच में छह , सातवें आठवें व नोवे घर में बैठे ग्रहों के साथ बु ध की तात्कालिक शत्रुता होगी चाहे उस घर में बैठे ग्रह उसके मित्र ही क्यों ना हो।
एक अन्य उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि बुध चौथे घर में है यहां पर हम बुध की तात्कालिक मैत्री व शत्रुता देखने के लिए बुध को पहला घर मान कर चलेंगे तो यहां से हम देखेंगे कि बुध से अगला पांचवा घर है वह दूसरा घर बन जाता है तो बुध को पहले घर को मानकर चलते हुए बुध से की दूसरे तीसरे चौथे व 10 ,11 १२ वे में जिन को की लाल रंग से दिखाया गया है यहां बैठे ग्रहों के साथ तात्कालिक मैत्री होगी चाहे वह उसके शत्रु ही क्यों ना हो।
बुध चौथे घर में है लेकिन , लेकिन उसे पहला कर मानकर 5, 6,,, 7,,, 8,,, 9,, घरो में बैठे ग्रह जो कि काले रंग से दिखाए गए हैं बैठे ग्रहों के साथ बुध की तात्कालिक शत्रुता होगी चाहे वह उसके मित्र ही क्यों ना हो।
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