क्या सभी ग्रह सूर्य के पास पहुंचकर अस्त हो जाते हैं


                क्या सभी ग्रह सूर्य के पास पहुंचकर अस्त हो जाते हैं


अक्सर ऐसा मान लिया जाता है कि कोई भी ग्रह जब सूर्य के साथ होता है तो वह अस्त हो जाता है जबकि वास्तविकता यह नहीं है। ऐसा
हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है, यह सब निर्भर करता है कि सूर्य व उस  ग्रह के बीच में अंशों की दूरी कितनी है, अंश के मान का अंतर क्या है।
सूर्य केवल अपने साथ बैठे हुए ग्रह को ही अस्त  नहीं करते ,सूर्य अपने  से एक घर पहले व एक घर बाद में बैठे ग्रह को भी अस्त कर सकते हैं।


अक्सर  यह मान लिया जाता है कि अस्त ग्रह फल ही नहीं देगा, बिल्कुल ही निष्क्रिय हो जाएगा परंतु ऐसा नहीं है, अस्त ग्रह भी फल देते हैं ,अस्त ग्रह को जब जब  मौका मिलता है वह भी अपने अच्छा फल  को या बुरे फल   फलीभूत करता है… 

अस्त ग्रह भी डालते हैं आपके जीवन पर ...

जब-जब अस्त ग्रह को मौका मिलेगा वह अपना अच्छा या बुरा फल जो भी उस समय उसकी स्थिति के अनुसार ,उस पर पड़ी दृष्टि के अनुसार उसका फल बनेगा वह अवश्य देगा  जो अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी हो सकता है।


जैसे कि हम यह मान लेते हैं कि एक जगह पर एक ही  मंच पर प्रधानमंत्री व उस राज्य का मुख्यमंत्री इकट्ठे खड़े हैं तो उस समय तो वहां पर प्रधानमंत्री की ही चलेगी ,मुख्यमंत्री की नहीं चलेगी परंतु ऐसा भी नहीं है कि मुख्यमंत्री बिल्कुल ही निस्तेज हो जाएगा शक्तिहीन हो जाएगा उसकी शक्तियां उसके साथ ही होंगी जब जब उसे जरूरत पड़ेगी वह  अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है वह थोड़ा सा इधर उधर होकर अपनी व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए आदेश भी दे सकता है वहां बैठे-बैठे भी वह कई जरूरी कागजों पर साइन कर सकता है, और दिशा  निर्देश दे सकता है उसको रोका नहीं जाएगा।






हां यह भी ठीक है कि क्योंकि प्रधानमंत्री वहां पर है तो चलेगी उसकी ही लेकिन कुछ समय बाद जब परिस्थितियां बदल जाएंगी प्रधानमंत्री वंहा  से चले जाएंगे या मुख्यमंत्रि उस जगह  को छोड़कर दूसरी जगह जाकर बैठ जाएंगे या वहां से चले जाएंगे तो उसके पास उसकी ताकत फिर से वापस आ जाएगी और वह अपने सारे कार्य को ठीक तरह से अंजाम दे सकेगा।
परंतु यहां पर यह भी बहुत समझने की जरूरत है कि ग्रहों की जो स्थिति लग्न में बन गई वह उसी समय डिसाइड हो गया कि कौन सा ग्रह कितने प्रतिशत फल देगा अच्छा देगा या बुरा देगा उस पर किस ग्रह की दृष्टि या पड़ रही है गोचर में स्थितियां बदलेंगी तो ग्रह  उसके अनुसार अपने फल को फलीभूत करता रहेगा।



अब आते  है मुख्य बात पर राहु केतु सूर्य के साथ अस्त  नहीं होते अपितु सूर्य को ही ग्रहण लगा देते हैं बुध अस्त होने  पर भी अच्छा फल प्रदान करता है।  अन्य ग्रहो की दृष्टियों  के अनुसार उसके फल में वृद्धि तेजी कमी आती रहती है। 

अब  यह भी जान लेते हैं कि कौन सा ग्रह कितने अंश पर होने पर अस्त होते है या कितने  अंश से अधिक होने पर नहीं अस्त होते  है। 

 आपको दो चित्रों के माध्यम से बात समझाई जाएगी तुरंत ही समझ आ जाएगी पहले हम यह जान लेते हैं कि कौन सा ग्रह कितने अंश तक अस्त होता है



अगर इस दूरी या  दोनों ग्रहो के अंशो के मान का अंतर् इसके बराबर या इससे अधिक  तो ग्रह अस्त नहीं माना  जायेगा।
कुंडली उदाहरण 



सूर्य केवल अपने ही घर में बैठे ग्रह को अस्त नहीं करते एक घर आगे बढ़कर पीछे के किराए को व्यस्त कर सकते हैं परंतु गणना करने का तरीका बदल जाएगा







अस्त ग्रह का यह बिल्कुल भी मतलब नहीं है की अस्त ग्रह  बिल्कुल ही प्रभावहीन हो जाएगा

 मान लीजिए प्रिंसिपल कक्षा में आ गए तो उस समय उनके सम्मान में उस कक्षा का उपस्थित अध्यापक भी खड़ा हो जाएगा पर ऐसा नहीं है कि मैं प्रभावहीन हो जाएगा जब तक प्रिंसिपल बोलेगा तब तक सभी सुनेंगे पर बाद में दोनों प्रिंसिपल अध्यापक भी  सलाह मशवरा कर सकते हैं।  अगर प्रिंसिपल अध्यापक के बीच में पहले से अच्छी बनती है तो दोनों की बातचीत का निष्कर्ष अच्छा  निकलेगा  अगर दोनों एक दूसरे को ना सामने और ना ही बाद में काटेंगे और अगर दोनों में से किसी भी कारण से नहीं बनती तो उनकी बातचीत का मंत्रणा का फल जो हर हालत में उतना बढ़िया नहीं होगा जितना कि हो सकता था। 

 एक और उदाहरण लेते हैं एक बीटा बहुत बड़ा अफसर  है उसकी खूब चलती है लेकिन जब भी मैं पिता के बहुत करीब होगा आपने  रोब  वाले रवैया को कंट्रोल कर लेगा उसे  पिता का सामने  रोब छोड़ना पड़ेगा परंतु मौका देखते ही उसके अंदर का ऑफिसर  फिर जाग जाएगा अस्त  ग्रह भी बिल्कुल इसी प्रकार से फल   देते है।