बच्चों की शिक्षा में आने वाली रुकावटों वा उनको दूर करने के उपायों के बारे में,

हमारे  कल्याण एस्ट्रोलॉजी  के यूट्यूब चैनल पर आपका स्वागत है. आज की हमारी वीडियो का विषय है  की हम  या हमारे बच्चे कितना पड़ेंगे ,कितनी शिक्षा प्राप्त करेंगे , आगे चलकर शिक्षा का प्रयोग कर पाएंगे या नहीं कर पाएंगे

 इन सब बातों का हमारी कुंडली से क्या रिश्ता है।  आपको हमारी यह वीडियो अवश्य पसंद आएगी क्योंकि इसमें हम आज बात करेंगे बच्चों की शिक्षा में आने वाली रुकावटों  वा  उनको दूर करने के उपायों के बारे में,

 सभी पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे खूब  पढ़े परंतु , बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता, ही नहीं ,  और और कई बार तो ऐसा होता है कि दिमाग बहुत तेज होने के बावजूद भी कुछ बच्चे अपनी शिक्षा पूर्ण नहीं कर पाते है और , जीवन में भटक जाते हैं और अगर  शिक्षा पूर्ण भी कर लेते हैं तो उसका उपयोग नहीं कर पाते हैं , कुछ का मन पढ़ाई में नहीं लगता और कुछ बच्चे कम बुद्धिमान होते हुए भी शिक्षा पूर्ण कर लेते हैं व जीवन में अच्छा मुकाम हासिल करते हैं।

हमारी कुंडली में ग्रहों की स्थिति बताती है कि शिक्षा  वा  उनसे  से प्राप्त फलों का स्तर  कैसा होगा। वैसे तो सभी ग्रहों की अपनी भूमिका होती है शिक्षा का सस्तर  निश्चित करने में  परन्तु  मुख्यता गुरु बुध , व  चंद्र की कुंडली में स्तिथि  से हम समझ सकते हैं कि शिक्षा कैसी होगी।

कुंड़ली  का 4TH  व 5TH भाव  हमारी शिक्षा से संबंधित हैं।

गुरु  ग्रह ज्ञान , शिक्षा ,बुद्धि व विवेक का नैसर्गिक कारक है

 बुध बुद्धि का ग्रहण करने की क्षमता का  नैसर्गिक कारक है

चंद्र मन की एकाग्रता का कारक है इन तीनों ग्रहों की सहायक भूमिका होती है शिक्षा को ग्रहण करने में चतुर्थ भाव का कारक ग्रह बुध अथवा चंद्र है पंचम भाव का कारक गुरु है।

इसलिए 4TH  भाव  वा  5TH में बैठे ग्रह ,इन भावो के भावेश ये निश्चित करते है की  जातक की शिक्षा का स्तर  क्या होगा। 4TH  भाव   निश्चित करता है की  शिक्षा कितनी होगी  व 5TH  भाव व भावेश  निश्चित करता कि शिक्षा से प्राप्त  ज्ञान का उपयोग कितना होगा ,

यदि पंचमेश केंद्र या त्रिकोण जैसे शुभ भाव में हो वह उच्च या  मित्र राशि में हो तो  पाप प्रभाव से मुक्त हो ,,शुभ ग्रहो की 5TH भाव या पंचमेश  पर  दृष्टि हो या पंचमेश से युति  में हो या पंचम भाव को देखते हो तो शिक्षा बहुत आसानी से हो जाती है चाहे पढ़ने वाला जातक बहुत बुद्धिमान ना भी हो।

यदि पंचमेश अशुभ भाव  या दुख भाव ,या  पाप कर्तरी हो में अशुभ ग्रह दृष्टि  या युक्त हो या पंचम भाव पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो या  पंचमेश अपनी नीच राशि में बैठा हों या षष्टेश ,अष्टमेश ,या द्वादेश   पंचम भाव में पाप ग्रह हो या  पाप कर्तरी योग हो या ग्रहण योग हो तो  शिक्षा बहुत ही संघर्ष से पूर्ण होती है या पूर्ण ही नहीं होती है बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है शिक्षा पूरी करने या  करवाने में।

गुरु ज्ञान के स्तर को ऊंचा उठाने का कार्य करता है।

 गुरु ज्ञान को, शिक्षा को , अध्यात्मिकता  को ,जीवन के शुभ कार्य को सही ढंग से करवाने में भी बहुत बड़ा सहायक होता है।  गुरु का  शुभ भावों में होना पाप ग्रह मुक्त होना अच्छी राशि में होना इसी बात की तरफ इशारा करता है कि जातक ज्ञानी तो अवश्य ही होगा भले ही डिग्री  ले  या ना ले ,जीवन में बिना डिग्री के भी कई डिग्री वालों से अधिक ज्ञानी भी हो सकता है.

.गुरु  का किसी भी प्रकार से पीड़ित होना ज्ञान प्राप्ति में रुकावट पैदा करता है.

 बुध ग्रह का अच्छी  उच्च शिक्षा प्राप्त करने में बहुत योगदान होता है बुध ग्रह किसी भी प्रकार से यदि  तो अच्छे भाव में हो अपनी राशि में  हो उच्च की राशी में  मित्र  राशी  में हो मित्र ग्रहो  के साथ  हो , पाप कर्तरी ना हो,6 , 8  , 12 भाव में ना हो तो व्यक्ति तेज बुद्धि वाला तर्क करने वाला बहुत अच्छी स्मरण शक्ति वाला होता है। हाजिर जवाब होता है अपनी तेज बुद्धि से वह सब को अपना कायल बना लेता है व्यक्ति को पता ही नहीं चलता और में उच्च शिक्षा बहुत आसानी से प्राप्त कर लेता है।   कई बार तो ऐसा भी देखा गया कि व्यक्ति कई कई विषयों में डिग्रियां  प्राप्त कर लेता है कहीं विषयों का ज्ञाता हो जाता  है व जीवन में कई माध्यमों से धन अर्जित करता है।

परन्तु बुध  यदि किसी भी प्रकार से शुभ ना हो पाप ग्रह दृष्ट हो , पाप कर्तरी हो केतु के साथ हो नीचे  की राशि में हो 6 ,8 , 12 में हो तो शिक्षा को पूर्ण करने में बहुत परेशानियां आती हैं।

मन की एकाग्रता का सीधा संबंध चंद्र से है यदि मन एकाग्र ना हो भटकता रहता हो  तो  ऐसा व्यक्ति सही ढंग से पढ़ नहीं पाता इसलिए चंद्रमा का सीधा ना सही पर शिक्षा कैसी रहेगी इस बात से संबंध अवश्य है।

 चंद्र यदि 6 ,8 ,12 में हो शनि ,राहु  ,केतु से युक्त हो या दृष्टि में हो या नीच राशि में हो तो ऐसे जातक का मन शांत नहीं रहता और वह   एकाग्र नहीं हो पाता और एकाग्रता   बहुत जरूरी है शिक्षा को सही ढंग से पूर्ण करने में इसलिए चंद्रमा की स्थिति भी अच्छी होनी जरूरी है।

तो ऐसे कोन  से उपाए  जिन्हे अगर हम करते है तो इन तीन ग्रहो को हम शुभ से और अधिक शुभ व अगर अशुभ है तो शुभ  बना सकते है  है ताकि जीवन में  जातक सही से अपनी शिक्षा पूरी भी करे व जीवन में उस शिक्षा से अच्छा  लाभ भी उठा सके।

 अगर जातक किसी भी प्रकार कारण से शिक्षा पर ध्यान नहीं दे पा रहा है तो हम इन उपायों को करके इन तीनों ग्रहों के दोषो  को कम कर सकते हैं जिससे शिक्षा प्राप्त करने में आ रही रुकावटे   व्  बाधाएं दूर होंगी व जातक अपनी शिक्षा पूर्ण कर पाएगा।

 वेसे तो हर व्यक्ति के लिए उपाय कुछ अलग अलग या कुछ ज्यादा या कम हो सकते हैं वह  केवल कुंडली का विश्लेषण करके ही बताया जा सकता है।

 ऐसे जातक जिनका ध्यान  पढ़ाई में नहीं लगता  है  यदि  इन उपायों को करते हैं तो वैसे ही उनकी समस्या का निवारण हो जाएगा।

1  गुरुवार व  सोमवार को शिवलिंग पर जल अवश्य चढ़ाएं।

 2 किसी भी धार्मिक स्थल पर पीली वस्तुएं पहुंचाते रहे जैसे पीला कपड़ा पीली दाल इत्यादि।

3  गुरुवार को पीपल पर जल चढ़ाएं, बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करने का कोई भी मौका ना चुके खासतौर पर दादा दादी   व दादा  दादी  सामान व्यक्तियों का

4  बुधवार को बहुत सारी गायों को बुधवार को हरा चारा खिलाएं।

5  गणेश जी की पूजा करें खासतौर पर बुधवार को गणेश जी पर दूर्वा चढ़ाएं चरणों में दूर्वा रखे।

6  मां , बाप , वा  बहन चाहे बड़ी हो या छोटी पैर छूकर सर पर हाथ रखवा क्र आशीर्वाद ले प्रतिदिन।

7 माँ व  बहन का झूठा खाएं।

8 तन, मन , धन से मां, बहन ,बुआ व्  बेटी की सेवा करें।

9 गले में चांदी का चंद्र पीले धागे में पहने।

10 किसी विधवा आश्रम में जाकर सेवा करें या दानपुण्य  करें।

11 पूर्णिमा को चंद्रमा को अर्क दे।

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